समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
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हर एक मनुष्य में अपने आत्मा को पहचानकर मोक्ष प्राप्त करने की शक्ति है। लेकिन मोक्ष मार्ग में विषय सबसे बड़ा बाधक बन जाता है। सिर्फ प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष ही विषय आकर्षण के पीछे का विज्ञान समझाकर उसमें से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। ज्ञानीपुरुष दादाश्री ने मोक्ष मार्ग में ब्रह्मचर्य की महत्वता और विवाहित लोग भी वह किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, वह बताया है। विषय का वैराग्यमय स्वरुप, उसकी इस जन्म की और अगले जन्म की जोखिमदारियाँ बताई है| ब्रह्मचर्य से होनेवाले फायदे उसकी वैज्ञानिक एक्ज़ेक्टनेस के साथ बताए हैं। ब्रह्मचर्य की भूलरहित समझ, विषयबीज को निर्मूल कर के जड़-मूल से उखाड़ने का तरीका बताया है। खंड १ में पूज्य दादाश्री ने विवाहितों को बिना हक़ के विषय के सामने चेतावनी दी है वैसे ही उसकी जोखिमदारी और किस तरह से सूक्ष्मातिसूक्ष्म आकर्षण/ दृष्टिदोष भी हमें मोक्षमार्ग से भटका देंगे वह समझाया है। खंड २ में ज्ञानीपुरुष ने कैसा विज्ञान देखा! वह हमारे लिए खुल्ला किया है जगत के लोगों ने मीठी मान्यता से विषय में सुख का आनंद लिया, किस तरह उनकी दृष्टि विकसित करने से उनकी विषय संबंधित सभी उल्टी मान्याताएँ छूट जाएँ और महामुक्तदशा के मूल कारण रूप, ऐसे 'भाव ब्रह्मचर्य' का वास्तविक स्वरूप, विषय मुक्ति हेतु कर्तापन की सारी भ्रांति टूट जाए, और ज्ञानीपुरुष ने खुद जो देखा है, जाना है और अनुभव किया है, उस 'वैज्ञानिक अक्रम मार्ग' का ब्रह्मचर्य संबंधित अदभुत रहस्य खुल्ला किया है। ऐसे दुषमकाल में कि जहाँ समग्र जगत में वातावरण ही विषयाग्निवाला फैल गया है, ऐसे संयोगों में ब्रह्मचर्य संबंधित 'प्रकट विज्ञान' को स्पर्श करके निकली हुई 'ज्ञानीपुरुष' की अदभुत वाणी विषय-मोह में से छूटकर ब्रह्मचर्य की साधना में रहकर, सुज्ञ वाचक को अखंड शुद्ध ब्रह्मचर्य को समझ के साथ स्थिर करता है।