Bokomslag för आप्तवाणी-३

आप्तवाणी-३

Beskrivning av boken

ज़िंदगी में लोगों के बहुत से लक्ष्य और उद्देश होते हैं, लेकिन वे सबसे बुनियादी सवाल का जवाब नहीं दे पाते कि ‘मैं कौन हूँ’। बल्कि हममें से अधिकतर लोग यह नहीं जानते। अनंत समय से लोग संसार के भौतिक साधनों के पीछे भागते रहे हैं। सिर्फ ज्ञानीपुरुष ही आत्म साक्षात्कार करवा सकते हैं और आपको संसार के भौतिक बंधनों से मुक्ति दिलवा सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री ने आत्मा के गुणों और अन्य अनेकों विषयों जैसे ‘स्वयं’ के ज्ञान, दर्शन तथा शक्तियों के बारे में बताया है। सुख, स्वसत्ता, परसत्ता, स्वपरिणाम, परपरिणाम, व्यवहार आत्मा, निश्चय आत्मा तथा अनेक विषयों के बारे मे भी बताया है। पुस्तक के दुसरे भाग में परम पूज्य दादाश्री ने ‘क्लेश रहित जीवन कैसे जीएँ’ इसकी चाबी दी है तथा यह भी बताया है कि सही सोच से परिवार में बिना दुखी हुए कैसे व्यव्हार करें जैसे-बच्चों से व्यव्हार, दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारना, दूसरों के साथ तालमेल बिठाना, सांसारिक संबंधों को कैसे निभाएँ, परिवार, मेहमान, बड़ों के साथ, अलग-अलग व्यक्तित्ववाले सदस्यों से कैसे व्यवहार करें, रिश्तों को सामान्य कैसे करें इत्यादि... इस पुस्तक का अध्ययन करके जीवन में उतारने से जीवन हमेशा के लिए शांति और आनंदमय हो जाएगा।

Författare.DadaBhagwan